एक
रामबरन आर.बी. हो गया
के.पी. में बदल गया कृष्णपाल
चिरोंजीलाल का सी.एल. होना तय है
बाबूलाल का क्या होगा
बताने की जरूरत है !
दो
बड़जोरा ईंटों की जुड़ाई करता है
फत्तू पकड़ता है साँप
भैंसों की पेंठ चराने जाता है भीखा
धन्ना गीली माटी के ढेलों से
खड़ी करता है कच्ची दीवारें
ये सब ऐसे नाम हैं
जिनका तहसीलदार सिंह से
टी.डी. सिंह होने का
कोई खतरा नहीं
तीन
फूल सिंह
फूल सूँघ कर नहीं जीता
फूल सिंह की बातों से
फूल नहीं झरते
फूल सिंह का चेहरा
नहीं है फूल सा कोमल
फूल सिंह के चेहरे पर
ये बड़ी बड़ी मूँछें हैं
बड़े हाकिम की
गाड़ी चलाता है फूल सिंह
बड़े-बड़ों की सोहबत में रहकर भी
फूल सिंह है कि
बचा रहा बिल्कुल साबुत
अगर कहीं बड़ा हाकिम हो जाता
तो फिर एफ. सिंह होकर
मिट जाता बेचारा फूल सिंह
चार
इसे संयोग मान लें
या समय की विडंबना
नाम बनाने के
इस सुंदर अभ्यास से
स्त्रियाँ सामान्यतः बची रहीं
पाँच
अपनी भाषा में जो बहुत बिगड़े
पराई भाषा ने उन्हें
और ज्यादा निखारा
आगे का नाम सिमट गया
पीछे की जात बची रही
छ
मिथुन लग्न में देवीचरण हुए
हरिचरण हुए कर्क लग्न में
कुंभ लग्न में जन्मे गौचरण
रामनवमी के पावन पर्व पर
परम शुभ घड़ी में
रामचरण ही हो सकते थे
अब चौघड़िया देखकर कोई बताए
नौनीता, भीकम या जंगलिया
पैदा होंगे किस घड़ी में ?
सात
उनका नाम मर्दन सिंह था
मर्दन सिंह के पर्वत सिंह हुए
पर्वत सिंह के धूप सिंह
धूप सिंह के महेंद्र प्रताप सिंह
महेंद्र प्रताप सिंह के उदय प्रताप
उदय प्रताप सिंह के यहाँ
नहीं हो पाया कोई प्रबल प्रताप सिंह
फिर जो अरुणा, करुणा, वंदना हुईं तो
थम गई यह सिंह गर्जना